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Thursday, 30 September 2021

पाठ-2 अम्ल व क्षार ( ACID AND BASE ) CLASS 10TH


M.D.M PUBLIC SCHOOL JANI KHURD
HOME ASSIGNMENT
SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 10th
SUBJECT – CHEMISTRY
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

    
पाठ-2      अम्ल  क्षार (ACID AND BASE)


अम्ल और क्षार 
ACID AND BSE

अम्ल (ACID) :- (पुरानी धारणा) वे पदार्थ जो स्वाद मे खट्टे होते है , जो नीले लिटमस को लाल कर देते है अम्ल कहलाते है |



जैसे :- सिरका ,निम्बू ,कच्चा आम ,इमली आदि |  







सीमाएँ :- यह धारणा पूर्ण रूप से चल नहीं सकी क्योकि कुछ पदार्थ इस धारणा का पालन नहीं करते है |  


आरहेनियस के अनुसार :- अम्ल वे पदार्थ है जो जलीय विलयन मे  (H +) हाइड्रोजन आयन देते है , ये स्वाद मे खट्टे होते है |  

जैसे :- H2SO4 , HCl , HNO 


अम्ल तथा उनके स्त्रोत :



स्त्रोत
अम्ल
नींबू नारंगी तथा संतरा
सिट्रिक अम्ल
सिरका तथा अचार
एसिटिक अम्ल
दूध
लैक्टिक अम्ल
मक्खन
ब्यूटेरिक एसिड
इमली तथा अंगूर
टार्टरिक अम्ल
लाल चीटी
फार्मिक अम्ल
चाय
टैनिक अम्ल
चींटी के डंक में
मैथेनॉइक अम्ल
सोडा वाटर
कार्बनिक अम्ल
टमाटर
ऑक्सेलिक अम्ल

अम्लों के प्रकार 
आयनन के आधार पर 
आयनन के आधार पर अम्ल दो प्रकार के होते है - 

(1) प्रबल अम्ल (STRONG ACID) :- वे अम्ल जो जल में पूर्णतया आयनित या वियोजित होते है , प्रबल अम्ल कहलाते है | सामान्यत: खनिज अम्ल प्रबल अम्ल  होते है | 


जैसे :- H2SO4 , HCl , HNO



(2) दुर्बल अम्ल (Weak Acid) :- वे अम्ल , जो जल मे पूर्णत: वियोजित या आयनित नहीं होते है , दुर्बल अम्ल कहलाते है | सामान्यत: पादपों से प्राप्त अम्ल दुर्बल होते है | 



जैसे :- HCN , CH3COOH , HCOOH आदि | 



सांद्रता आधार पर वर्गीकरण 

सांद्रता के आधार पर भी अम्ल दो प्रकार के होते है - 

(1) सान्द्र अम्ल(CON. ACID) :- जिसमे अम्ल ज्यादा हो और जल की  मात्रा कम  हो , सान्द्र अम्ल कहलाता है | 

(2) तनु अम्ल (DILL. ACID) :- जिसमे अम्ल कम मात्रा अधिक  हो और जल ज्यादा मात्रा कम  हो , तनु अम्ल कहलाता है | 



अम्लों के सामान्य गुण - 

  • ये स्वाद मे खट्टे होते है | 
  • ये नीले लिटमस को लाल कर देते है | 
  • ये जलीय विलयन मे (H+) आयन देते है | 
  • सभी खट्टे फलो मे अम्ल होता है |
  • प्रबल अम्ल प्रबल संक्षारक होते है | 

  • वैधुत चालकता :- अम्लों का जलीय विलयन विद्युत का चालक होता है , क्योंकि अम्लों मे ( H+ ) आयन होता है | 

  • क्षारो से अभिक्रिया :- अम्ल क्षारो से अभिक्रिया करके उनके प्रभाव को ख़तम कर देते है और लवण व जल है , इस प्रक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते है | 

 अम्ल     +     क्षार        →      लवण     +     जल
  HCl    +    NaOH     →    NaCl   +  H2O

  • धातु कार्बोनेटो व धातु बाइकार्बोनेटो से क्रिया :- अम्ल धातु कार्बोनेटो व धातु बाइकार्बोनेटो से क्रिया करके लवण , कार्बन डाई ऑक्साइड व जल बनते है | 

धातु कार्बोनेटो व धातु बाइकार्बोनेटो  +  अम्ल  → लवण + कार्बन डाई ऑक्साइड  + जल 
 CaCO3    +     H2SO4  → CaSO4   +    CO2     H2O

  • धातुओं से क्रिया :- अम्ल सक्रीय धातुओं से क्रिया करके लवण व हाइड्रोजन गैस मुक्त करते है |


धातु  +  अम्ल     →     लवण  +  हाइड्रोजन गैस 

{\displaystyle \mathrm {Mg+2\ HCl\longrightarrow \ MgCl_{2}+\ H_{2}\uparrow } }



    अम्लों के उपयोग :- 

    1. सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग लैड बैटरियों मे , पेट्रोलियम उद्योग मे , प्लास्टिक , कृत्रिम रेशे बनाने , उर्वरक निर्माण , आदि मे प्रयुक्त किया जाता है | 
    2. नाइट्रिक अम्ल का उपयोग सोने चाँदी के सोधन में किया जाता है | उर्वरक , ओषधि , विस्फोटक बनाए मे किया जाता है | 
    3. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उपयोग वस्त्र उद्योग मे किया जाता है | 
    4. कपड़ा से जंग के दाग धब्बे हटाने के लिए ऑक्जेलिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
    5. HCL खाना पचाने में सहायक होता है जो हमारे अमाशय की ग्रंथियों से स्रावित होता है।
    6. HCL का उपयोग स्टार्च से ग्लूकोज बनाने में उत्प्रेरक रूप में होता है।
    ★ अम्लों में सबसे शक्तिशाली अपचायक नाइट्रिक एसिड (HNO3) है।

    क्षारक (Base) :- (पुरानी अविधारणा) वे पदार्थ जिनका स्वाद तीक्ष्ण  कड़वा  होता है जो लाल लिटमस को नीला कर देते है क्षारक कहलाते है | 

    जैसे :- साबुन , कास्टिक सोडा , धावन सोडा आदि | 




    सीमाएँ :- यह धारणा पूर्ण रूप से चल नहीं सकी क्योकि कुछ पदार्थ इस धारणा का पालन नहीं करते है |  




    आरहेनियस के अनुसार :- वे पदार्थ जो आयनन के बाद जल मे वियोजित होकर हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) देते है , क्षार या क्षारक कहलाते है | क्षारक लाल लिटमस को नीला कर देते है | 



    नोट :- वे क्षारक जो जल मे घुल जाते है क्षार कहलाते है | 
               अत: सभी क्षार , क्षारक होते है किन्तु सभी क्षारक , क्षार नहीं होते है | 

    क्षारको के प्रकार 
    आयनन के आधार पर 

    आयनन के आधार पर क्षारक दो प्रकार के होते है - 

    (1) प्रबल क्षारक (Strong Base) :- वे क्षारक जो जल में पूर्णतया आयनित या वियोजित होते है , प्रबल क्षारक कहलाते है | 



    जैसे :- KOH , NaOH ,Ba(OH)

    (2) दुर्बल क्षारक (Weak Base) :- वे क्षारक , जो जल मे पूर्णत: वियोजित या आयनित नहीं होते है , दुर्बल क्षारक कहलाते है | 



    जैसे :- NH4OH , Al(OH)3

    सांद्रता आधार पर वर्गीकरण 

    सांद्रता के आधार पर भी क्षारक दो प्रकार के होते है - 

    (1) सान्द्र क्षारक (CON. BASE):- जिसमे क्षारक ज्यादा हो और जल काम मात्रा मे हो , सान्द्र क्षारक कहलाता है | 
    (2) तनु क्षारक (DILL. BASE) :- जिसमे क्षारक कम मात्रा मे हो और जल  मे हो , तनु क्षारक है | 


    क्षारको के सामान्य गुण :- 


    • क्षारक स्वाद मे तीक्ष्ण या कड़वे होते है | 
    • क्षारक लाल लिटमस को नीला कर देते है | 
    • ये जल मे वियोजित होकर हाइड्रॉक्साइड आयन (OH-) देते है | 
    • प्रबल क्षारक प्रबल संक्षारक होते है | 
    • क्षारक स्पर्श करने पर साबुन जैसे चिकने होते है | 
    • वसा व तैलो से क्रिया करके क्षारक साबुन व गिलसरोल बनाते है | 
    • धातुओं से क्रिया :- जब क्षारक धातुओं से क्रिया करते है तो लवण व हाइड्रोजन गैस बनते है | 




    धातु   +   क्षारक    →    लवण   +   हाइड्रोजन गैस 

    Zn   +   2NaOH  →     Na2ZnO2   +  H2

    • अम्लों के साथ क्रिया :- क्षारक अम्लों से अभिक्रिया करके उनके प्रभाव को ख़तम कर देते है और लवण व जल है , इस प्रक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते है | 


               अम्ल     +     क्षार        →      लवण     +     जल
     HCl    +    NaOH     →    NaCl   +  H2O

      • वैधुत चालकता :- अम्लों की तरह क्षारको के जलीय विलयनों मे भी आयन होते है जिनके कारण इनमे विद्युत प्रवाहित होती है | 
      क्षारको के उपयोग :- 
        1. साबुन बनाने मे | 
        2. वस्त्रो की रंगाई मे | 
        3. कागज उद्योग मे | 
        4. चमड़ा उद्योग मे , खारे जल को मृदु बनाने मे , ब्लीचिंग पाउडर बनाने मे | 

        सूचक (INDICATOR) :- सूचक वे पदार्थ होते है जो किसी पदार्थ की अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का ज्ञान करते है | 

        दूसरे शब्दों मे , वे पदार्थ जो अम्लीय व क्षारीय विलयनों मे अपना रंग या गंध बदल देते है , अम्लीय क्षारीय सूचक कहलाते है | 



        जैसे :- लिटमस , मिथाइल ऑरेंज , फिनॉलफ्थलीन , हल्दी, आदि | 


        कुछ मुख्य सूचक इस प्रकार है - 

        (1) लिटमस (Litmus) :- लिटमस विलयन बैंगनी रंग का सूचक होता है | जो थैलाफाइटा समूह के लिचेन पौधे से निकाला जाता है | 

        जब लिटमस को अम्ल मे मिलाया जाता है तो यह लाल हो जाता है और यदि क्षार मे मिलाया जाता है तो नीला हो जाता है | 




        लिटमस विलयन        →      बैंगनी 
        लिटमस विलयन   +   अम्ल    →  लाल 
        लिटमस विलयन   +  क्षार    →    नीला 


        नोट :- लिटमस पेपर , कागज की पतली पट्टी को लिटमस विलयन में भिगोकर बनाया जाता है | 


        (1) मिथाइल ऑरेंज :- मिथाइल ऑरेंज नारंगी रंग का रंजक है | जब मिथाइल की एक बून्द अम्लीय विलयन मे मिलायी जाती है , तो विलयन का रंग लाल हो जाता है | और क्षार में मिलाने पर विलयन का रंग पीला हो जाता है | 

        मिथाइल ऑरेंज ( उदासीन )      →    नारंगी 
        मिथाइल ऑरेंज    +   अम्लीय विलयन      →     लाल रंग 
        मिथाइल ऑरेंज    +   क्षारीय विलयन     →      पीला रंग 

        (2) फिनॉलफ्थलीन (Phenolphthalin) :- फिनॉलफ्थलीन एक रंगहीन पदार्थ है | अम्लीय विलयन मे रंगहीन रहता है , जबकि फिनॉफ्थलीन की एक बूँद क्षारकीय विलयन में मिलाने पर गुलाबी ह जाता है | 


        फिनॉलफ्थलीन ( उदासीन )          →    रंगहीन 
        फिनॉलफ्थलीन   +   अम्लीय विलयन   →   रंगहीन 
        फिनॉलफ्थलीन   +   क्षारीय विलयन   →     गुलाबी 

        (3) गांधीय सूचक (Olfactory Indicators) :- कुछ ऐसे पदार्थ होते है जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय माध्यम मे बदल जाती है | ऐसे गांधीय सूचक कहलाते है | 

        (4) हल्दी :- हल्दी भारतीय भारतीय रसोई मे प्रयोग होने वाला प्रमुख मसाला है हल्दी पिले रंग की होती है जोकि क्षारकीय विलयन में लाल हो जाती है | 

        हल्दी रंग का पाउडर      →     पीला 
        हल्दी     +   क्षारीय विलयन      →    लाल 

        अम्ल व क्षारो की प्रबलता :- किसी अम्ल या क्षार  प्रबलता उसके द्वारा उत्पन्न H + आयन या OH - आयन  की संख्या  करती है | किसी अम्ल या क्षार की प्रबलता हम सारभौमिक सूचक द्वारा ज्ञात कर सकते है | 

         pH मान ( pH Value ) :- 


        सोरेन्स ने बताया कि किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन सांद्रता के ऋणात्मक लघुगणक को उस विलयन का pH मान कहते है | 

              pH = -log10[H+]


        पदार्थ
        pH values
        नींबू
        2.2
        सिरका
        2.4
        शराब
        2.8
        समुद्री जल
        8.4
        रक्त ( blood )
        7.4
        लार
        6.5
        दूध ( milk )
        6.4
        स्टमक
        7.8
        छोटी आत
        7.5
         लवण (SALT) 
        वे पदार्थ , जिनके जलीय विलयन मे हाइड्रोजन आयन (H+) के अतिरिक्त कोई अन्य धनायन तथा हाइड्रॉक्सिल आयन (OH-) के अतिरिक्त कोई अन्य ऋणायन हो , लवण कहलाते है | 
        दूसरे शब्दों मे , किसी अम्ल तथा क्षार को उदासीनीकरण अभिक्रिया से प्राप्त आयनिक ठोस को लवण कहते है | इस अभिक्रिया के फलस्वरूप जल का निर्माण भी होता है | 


          अम्ल     +     क्षार        →      लवण     +     जल
         HCl    +    NaOH     →    NaCl   +  H2O


        कुछ लवण निम्न लिखित है - 
         सल्फेट लवण  - K2SO4 , Na2SO4 , CaSO4 , MgSO4 , CuSO4
         सोडियम लवण  - Na2SO4 , NaCl , Na2CO3
         क्लोराइड लवण - NaCl , NH4Cl

         साधारण नमक ( सोडियम क्लोराइड ) 

        रासायनिक नाम - सोडियम क्लोराइड 
        सामान्य नाम - साधारण नमक 
        अणुसूत्र  - NaCl 

        बनाने की विधि :- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सोडियम हाइड्रोक्साइड के विलयन की अभिक्रिया से NaCl बनता है , ऐसे सधारण नमक भी कहते है| ऐसे समुंद्री जल से भी प्राप्त किया जाता है | 


        HCl    +    NaOH     →    NaCl   +  H2O

        उपयोग :- 
        • साधारण नमक का उपयोग खाने मे किया जाता है | 
        • NaCl का उपयोग सोडियम हाइड्रॉक्साइड , बैंकिंग सोडा , वासिंग सोडा , विरंजक चूर्ण बनाने में किया जाता है | 
         सोडियम हाइड्रॉक्साइड 
        रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोक्साइड 
        साधारण नाम - कास्टिक सोडा 
        अणुसूत्र - NaOH 
         सोडियम हाइड्रॉक्साइड का सामान्य नाम कास्टिक सोडा है | इसका रासायनिक सूत्र NaOH है | 

        बनाने की विधि :- सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन मे विद्युत धारा प्रवाहित करने से सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) प्राप्त होता है | 


        2NaCl (aq)  +  2H2O (l)   →   2NaOH (aq)  +  Cl2 (g)  + H2 (g)

        सोडियम हाइड्रॉक्साइड के उपयोग :- 

        (i) साबुन तथा अपमार्जक बनाने मे  | 
        (ii) कागज उद्योग व कृत्रिम फाइबर बनाने मे | 
        (iii) धातुओं से ग्रीस हटाने मे | 

         विरंजक चूर्ण 
        रासायनिक नाम कैल्सियम हाइपो क्लोराइट
        साधारण नाम - विरंजक चूर्ण 
        अणुसूत्र - CaOCl2
        इसका रासायनिक नाम कैल्सियम हाइपो क्लोराइट व रासायनिक नाम CaOCl2
         है | 

        बनाने की विधि :- विरंजक चूर्ण का निर्माण शुष्क बुझे चुने पर क्लोरीन की क्रिया से किया जाता है | 



        Ca(OH) + Cl2  →   CaOCl2 + H2O

        विरंजक चूर्ण गुण :- 

        • यह हल्के पिले रंग का चूर्ण है | 
        • यह जल में कम विलय है | 
        • इसमें क्लोरीन जैसी गन्ध आती है |
        • यह तनु अम्ल से क्रिया करके क्लोरीन गैस निकलता है | 
        COCl  + (तनु) H2SO    →      Ca(OH)2   +    Cl2 ↑

        • गरम जल से क्रिया :- 

        CaOCl2 + H2O   →   Ca(OH) + Cl2

        • ऊष्मा का प्रभाव :- 

        CaOCl2      →     CaCl + O2


        उपयोग :- 


        (1) पेयजल को जीवाणु रहित बनाने मे | 

        (2) जल को रोगाणु नाशक बनाने मे | 

        (3) सूत लकड़ी की लुगदी आदि का रंग उड़ने मे विरंजक |

        (4) क्लोरोफॉर्म बनाने मे , चीनी को सफ़ेद करने तथा ऑक्सीकारक के रूप मे |  



         बेंकिंग सोडा (खाने का सोडा) 
        रासायनिक नाम - सोडियम बाईकार्बोनेट 
        साधारण नाम - बेंकिंग सोडा (खाने का सोडा
        अणुसूत्र - NaHCO3
        इस योगिक का रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (सोडियम बाईकार्बोनेट) व अणुसूत्र NaHCOहै |   

        बनाने की विधि :- सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) के संतृप्त जलीय विलयन मे कार्बन डाई ऑक्साइड गैस (CO2) प्रवाहित करने पर सोडियम बाईकार्बोनेट (NaHCO3) प्राप्त होता है | 

        Na2CO3  +  CO2  +  H2O  →     2NaHCO3↓

        या 
        सोडियम क्लोराइड (NaCl) के जलीय विलयन मे कॉर्बन डाई ऑक्साइड (CO2) व अमोनिया गैस (NH3) प्रवाहित करके सोडियम बाई कार्बोनेट (NaHCO3) प्राप्त होता है | 

        NaCl  +  H2O  + CO2 +  NH3    →      NH4Cl  +  NaHCO3



        गुणधर्म :- 

        • सोडियम बाइकार्बोनेट सफ़ेद क्रिस्टलीय ठोस है जो जल मे विलय है | 

        • उष्मा का प्रभाव : - 100 डिग्री C से अधिक ताप पर गर्म करने पर यह सोडियम कार्बोनेट मे परिवर्तित हो जाता है | 

        2NaHCO3    ∆→    Na2CO3  +  CO2  +  H2       

        • जल अपघटन :- जल अपघटन होने पर यह क्षारीय विलयन का निर्माण करता है | 

        NaHCO3  +  H2O   ⇌     NaOH  +  H2CO3




        • अम्लों से क्रिया :- बेकिंग सोडा (NaHCO3) की अम्लों से क्रिया करने पर लवण व कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) का निर्माण होता है | 

        NaHCO3  +  H2SO4  ⟶Na2SO4  +  H2CO3  + H2O + CO2




        उपयोग :- 

        (1) पेट की अम्लता दूर करने मे इसका उपयोग किया जाता है | 

        (2) चर्म रोगो के निवारण मे | 

        (3) प्रयोगशाला मे अभिकर्मक के रूप मे | 

        (4) कच्चे दूध को फटने से रोकने मे | 

        (5) ब्रैड बनाने मे | 



         धावन सोडा 

        रासायनिक नाम - सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट

        साधारण नाम - धावन सोडा 

        अणुसूत्र - Na2CO3.10H2O

        बनाने की विधि :- ( प्रयोगशाला विधि )  इस विधि मे कार्बन डाइऑक्साड को सोडियम हाइड्रोक्साड के विलयन मे प्रवाहित करने पर सोडियम कार्बोनेट का विलयन प्राप्त होता है | जिसके वाष्पीकरण द्वारा सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल प्राप्त किये जाते है | 


        2NaOH  + CO2    →    Na2CO + H2O

        कभी कभी सोडियम बाइकार्बोनेट से भी सोडियम कार्बोनेट बनाया जाता है | 
            

        2NaHCO3    ∆→    Na2CO3  +  CO2  +  H2    


        गुणधर्म :- 


        • यह एक सफ़ेद  क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है इसका गलनांक लगभग 885 डिग्री C है | 
        • यह जल मे विलेय होने के बाद पर्याप्त मात्रा मे ऊष्मा उत्पन्न करता है | 
        • निर्जल सोडियम कार्बोनेट चूर्णित अवस्था मे होता है , ऐसे सोडा ऐश भी कहते है | 

        • इसके विलयन को बुझे हुए चुने के साथ गर्म करने पर कास्टिक सोडा प्राप्त होता है | 
        Na2CO3    +   Ca(OH)2        2NaOH  +  CaCO3
        • ऊष्मा का प्रभाव :- ऊष्मा के प्रभाव से इसमें से 9 जल के अणु निकल जाते है ओर सोडियम कार्बोनेट मोनोहाइड्रेट बचता है | 

        Na2CO3.10H2O        Δ➝     Na2CO3.H2O  + 9H2O

        • कार्बन डाईऑक्साड से क्रिया :-  सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) के संतृप्त जलीय विलयन मे कार्बन डाई ऑक्साइड गैस (CO2) प्रवाहित करने पर सोडियम बाईकार्बोनेट (NaHCO3) प्राप्त होता है | 

        Na2CO3  +  CO2  +  H2O  →     2NaHCO3↓


        उपयोग :- 


        (1) प्रयोगशाला मे अभिकर्मक के रूप मे | 

        (2) काँच, कागज तथा बोरेक्स उद्योग मे | 

        (3) पेट्रोलियम व धातु  मे 


        नौसादर 
        रासायनिक नाम - अमोनियम क्लोराइड 
        सामान्य नाम - नौसादर 
        अणुसूत्र - NH4Cl

        बनाने की विधि :- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) मे अमोनिया गैस (NH3) प्रवाहित करने पर नौसादर अमोनियम क्लोराइड (NH4Cl) प्राप्त होता है 

        NH3  +  HCl   →    NH4Cl

        गुणधर्म :- 

        • यह एक सफ़ेद रंग का क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है , जो जल मे विलय है | 

        • ऊष्मा का प्रभाव :- गर्म करने पर इसका ऊर्ध्वपातन हो जाता है और यह अमोनिया (NH3) और हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl) मे टूट जाता है | 
        NH4Cl    ⇋   NH3  +  HCl       

        • क्षारको से क्रिया :- कास्टिक सोडा व नौसादर क्रिया करने पर सोडियम क्लोराइड लवण व अमोनिया गैस निकलती है | 
        NH4Cl  +  NaOH  →   NaCl  +  H2O   +  NH3  ↑   

        • लिथार्ज के साथ क्रिया :- नौसादर (NH4Cl)  तथा लिथार्ज (PbO) की क्रिया करने पर अमोनिया (NH3) गैस बनती है |
             2NH4Cl  +  PbO   →   PbCl2  + H2O  +  NH3
          उपयोग :- 
          (1) प्रयोगशाला मे अभिकर्मक के रूप मे | 
          (2) शुष्क शैल के निर्माण मे | 
          (3) बर्तनो पर कलाई व टाँका लगाने मे | 
          (4) कैलिको छपाई मे | 
          (5) अमोनिया , ओषधियों तथा उर्वरको के निर्माण मे | 

          प्लास्टर ऑफ़ पेरिस 
          रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट 
          सामान्य नाम - प्लास्टर ऑफ़ पेरिस 
          अणुसूत्र - (CaSO4)2H2O


          बनाने की विधि :- जिप्सम (CaSO4.2H2O) को 373 K पर गर्म करने से प्लास्टर ऑफ़ पेरिस बनता है | 


          2(CaSO4.2H2O)    →    (CaSO4)2.H2O  +  3H2O

          गुणधर्म : - 
          • प्लास्टर ऑफ़ पेरिस एक सफ़ेद रंग का चूर्ण है जो तेज गर्म करने पर निर्जल CaSO4 मे बदल जाता है | 
          (CaSO4)2.H2O  (तेज गर्म करने पर)  →     2CaSO +  H2O
          • प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की जल से क्रिया कराने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह शीघ्रता से जिप्सम में बदलकर जम जाता है | इस क्रिया को प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का जमना कहते है | 
          (CaSO4). H2O  +  3H2O    →   2(CaSO. 2H2O )

          उपयोग :- 

          (1) शल्य चिकित्सा मे प्लास्टर करने मे | 

          (2) साँचे और मॉडल बनाने मे | 

          (3) मूर्तियाँ व खिलौने बनाने मे | 

          LESSON COMPLETE









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          पाठ-2 अम्ल व क्षार ( ACID AND BASE )   -  CLICK HERE

          पाठ - 3 धातु और अधातु (Mattel And Non Mattel) - CLICK HERE

          पाठ - 4 कार्बन व उसके यौगिक - CLICK HERE

          क्लास-10 अध्याय-13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव

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