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Tuesday, 12 April 2022

ठोस अवस्था

 ठोस अवस्था 

ठोसों की विशेषताएँ :- 

1. ये दृढ़ होते है | 

2. इनका आकर व आयतन दोनों निश्चित होते है अर्थात ये पात्र के आकार व आयतन पर निर्भर नहीं करते | 

3. इनके अवयवी कण निकटतम उपस्थित होते है | 

4. इनमे अवयवी कण प्रबल स्थिर वैधुत आकर्षण बल से जुड़े रहते है | 

5. ये असम्पीड़िया होते है |  

6. इनका घनत्व गैस व द्रव से अधिक होता है | 

7. इनमे विसरण की क्रिया नहीं पायी जाती है | 

8.  गर्म करने पर , मुख्यत द्रव अवस्था प्राप्त करते है जिसे इनका गलनांक कहते है | अर्थात वह ताप जिस पर कोई ठोस द्रव अवस्था प्राप्त करते है उनका गलनांक कहलाता है | 

ठोसों के प्रकार : - 

ये दो प्रकार के होते है - 

(1) अंतराआण्विक बल के आधार पर :- ये आणविक बलो के आधार पर 4 प्रकार के होते है | 

(i) आयनिक ठोस : - इनमे अवयवी कण आयन होते है | जो प्रबल वैधुत आकर्षण बल से जुड़े होते है | ये ठोस अवस्था में विधुत के कुचालक जबकि गलित या जलीय अवस्था में  विद्युत के सुचालक होते है | 

जैसे : - NaCl , KNO3 , KCl , CuSO4, MgO , CaFआदि | 

 

Q1.  आयनिक ठोस , ठोस अवस्था में कुचालक जबकि गलित या  अवस्था में सुचालक होते है | क्यों ?

 ANS : - ठोस अवस्था में इनमे प्रबल विद्युत आकर्षण बल पाया जाता है अत : आयन स्वतन्त्र नहीं होते | जबकि गलित या जलीय अवस्था में आकर्षण बल टूट जाता है अत : आयन स्वतन्त्र होकर विद्युत धारा चालन करते है |  

Q2. आयनिक ठोस भंगुर प्रकृति के होते है क्यों ? 

ANS : - आयनिक यौगिक धनायनों व ऋणायनों से मिलकर बनते है | जिनमे प्रबल आकर्षण बल पाया जाता है लेकिन ध्रुवीय विलायकों में में विलेयशील  अत : भंगुर होते है | 

 

Q3. ठोस कठोर होती है क्यों ? 

ANS : - इनके अवयवी कणो के मध्य प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल पाया जाता है | जिसकी वजह से ये कठोर होते है | 

 

Q 4. ठोसों का आकर व आयतन निश्चित होते है क्यों ? 

ANS : - ठोसों में अवयवी कण एक निश्चित क्रम में एक दूसरे से बंधे रहते है और एक निश्चित ज्यामिति या संरचना का निर्माण करते है | 

(ii) धात्विक ठोस :- इनमें धात्विक बंद पाये जाते है | इनमें धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रान के द्वारा होता है या कर्नेल इलेक्ट्रॉन की सहायता से होता है अत: ये विद्युत के सुचालक होतीहै

जैसे :- Fe , Ni , Co , Ag , Au , Pd , Pt , Na , At , आदि

(iii) सहसंयोजी ठोस :- इनमें अवयवी कण धातुए होती है जो सहसंयोजी बन्ध बनाकर त्रिविमीय नेटवर्क का निर्माण करती है ये ठोस विद्युत के कुचालक होती है

कुछ अपवाद :- ग्रेफाइट परतिया संरचना के कारण विद्युत का सुचालक है |  

 (iv) आणविक ठोस :- इनमे दुर्बल वन्डरवाल्स या H बन्ध पाए जाते है

ये तीन प्रकार के होते है :- 

(i) ध्रुवीय :- 

1. लन्दन बल या द्विध्रुव - प्रेरित दिवध्रुव बल 

2. आघूर्ण =

3. निम्न गलनांक 

जैसे :- N2,O2,I2,Ar,He,Ne,P4,S8,CH4,CCl4 

(ii) ध्रुवीय :- 

1. द्विध्रुव - द्विध्रुव 

2. आघूर्ण 0 निम्न गलनांक 

जैसे :- SO2,HCl,CHCl3

(iii) H बंधित 

1. H - बंधित 

2. F,O,N निम्न गलनांक 

3. HF,NH3,H2O,CH3COOH,ROH

NOTE : - I2 कमरे के ताप पर ठोस  होती है | जबकि अन्य ध्रुवीय कमरे के ताप पर द्रव या गैस होती है

(2) ज्यामिति के आधार पर :- 

(i) क्रिस्टलीय ठोस :- 

  • इनकी ज्यामिति निश्चित होती है
  • इनमे अवयवी कणो की निश्चित अवस्था होती है
  • इनका शीतलन वक्र असंतत होता है
  • इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च होते है
  • इनमे विशंदेशिकता पाई जाती है

(ii) अक्रिस्टलीय : -

  • इनकी ज्यामिति अनिश्चित होती है
  • इनमे अवयवी कणों की अनिश्चित व्यवस्था पायी जाती है
  • इनका शीतलन वक्र सतंत होता है
  • गलनांक व क्वथनांक निम्न होते है |  
  • इनमे समदेशिकता पायी जाती है |

Q 1. काँच अतिशीतलित द्रव होता है क्यों

ANS :- काँच अक्रिस्टलीय ठोस है जिसे गर्म करने पर  यह तेजी से ठंडा हो जाता है अत : शीतलन वक्र सतत प्राप्त होता है इसलिए यह अतिशीतित द्रव कहलाता है

 

 Q 2. समदैशिकता व विषमदैशिकता क्या है ? 

ANS :- 

1.  जब अक्रिसटालिय ठोस की संरचना में उपस्थित अवयवीय प्रकाश के समान गुणधर्म प्रदर्शित करते है तो उसे समदैशिकता कहते है | 

 1. जब क्रिस्टलीय ठोस की संरचना में अवयवी कण प्रकाश के समान गुणधर्म प्रदर्शित नहीं करते तो उसे विषमदैशिकता कहते है | 

 2. इसमें भौतिक गन जैसे - चालकता , विशिष्ट चालकता , अपवर्तनांक आदि एक समान होते है | 

 2. इसमें भौतिक गन जैसे :- चालकता , अपवर्तनांक , विशिष्ट चालकता आदि आसमान होते है 

 

 

 

Q 3. निम्न ठोसों को भिन्न - भिन्न वर्गों में वर्गीकृत कीजिये | 

(i)  प्लास्टिक     (ii) (NH4)3PO4      (iii) P4       (iv) LiBr



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