ठोस अवस्था
ठोसों की
विशेषताएँ :-
1. ये दृढ़ होते है |
2. इनका आकर व आयतन दोनों निश्चित होते है अर्थात ये पात्र के आकार व आयतन पर
निर्भर नहीं करते |
3. इनके अवयवी कण निकटतम उपस्थित होते है |
4. इनमे अवयवी कण प्रबल स्थिर वैधुत आकर्षण बल से जुड़े रहते है |
5. ये असम्पीड़िया होते है |
6. इनका घनत्व गैस व द्रव से अधिक होता है |
7. इनमे विसरण की क्रिया नहीं पायी जाती है |
8. गर्म करने पर , मुख्यत द्रव अवस्था प्राप्त करते है जिसे इनका गलनांक कहते है | अर्थात वह ताप जिस पर कोई ठोस द्रव अवस्था
प्राप्त करते है उनका गलनांक कहलाता है |
ठोसों
के प्रकार : -
ये दो
प्रकार के होते है -
(1) अंतराआण्विक बल के आधार पर :- ये आणविक बलो के
आधार पर 4 प्रकार के होते है |
(i) आयनिक ठोस : - इनमे अवयवी कण आयन होते है | जो प्रबल वैधुत आकर्षण बल से जुड़े होते है | ये ठोस अवस्था में विधुत के कुचालक जबकि गलित या जलीय अवस्था में विद्युत के सुचालक होते है |
जैसे
: - NaCl
, KNO3 , KCl , CuSO4, MgO , CaF2 आदि |
Q1. आयनिक ठोस , ठोस अवस्था में कुचालक जबकि
गलित या अवस्था में सुचालक होते है | क्यों ?
ANS : - ठोस अवस्था में इनमे प्रबल विद्युत आकर्षण बल पाया जाता है अत : आयन
स्वतन्त्र नहीं होते | जबकि गलित या जलीय अवस्था
में आकर्षण बल टूट जाता है अत : आयन स्वतन्त्र होकर विद्युत धारा चालन करते है |
Q2. आयनिक
ठोस भंगुर प्रकृति के होते है क्यों ?
ANS : - आयनिक यौगिक धनायनों व ऋणायनों से मिलकर बनते
है | जिनमे प्रबल आकर्षण बल पाया जाता है लेकिन
ध्रुवीय विलायकों में में विलेयशील अत : भंगुर होते है |
Q3. ठोस
कठोर होती है क्यों ?
ANS : - इनके अवयवी कणो के मध्य प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल पाया जाता है | जिसकी वजह से ये कठोर होते है |
Q 4. ठोसों
का आकर व आयतन निश्चित होते है क्यों ?
ANS : - ठोसों में अवयवी कण एक निश्चित क्रम में एक दूसरे से बंधे रहते है और एक
निश्चित ज्यामिति या संरचना का निर्माण करते है |
(ii) धात्विक
ठोस :- इनमें
धात्विक बंद पाये जाते है | इनमें धारा का प्रवाह मुक्त
इलेक्ट्रान के द्वारा होता है या कर्नेल इलेक्ट्रॉन की सहायता से होता है अत: ये
विद्युत के सुचालक होतीहै |
जैसे :- Fe
, Ni , Co , Ag , Au , Pd , Pt , Na , At , आदि |
(iii) सहसंयोजी
ठोस :- इनमें अवयवी कण धातुए होती है जो सहसंयोजी बन्ध
बनाकर त्रिविमीय नेटवर्क का निर्माण करती है | ये ठोस विद्युत के कुचालक
होती है |
कुछ अपवाद :- ग्रेफाइट परतिया संरचना के कारण विद्युत का सुचालक है
|
(iv) आणविक ठोस :- इनमे दुर्बल वन्डरवाल्स या H बन्ध पाए जाते है |
ये तीन प्रकार के होते है :-
(i) ध्रुवीय
:-
1. लन्दन
बल या द्विध्रुव - प्रेरित दिवध्रुव बल
2. आघूर्ण
= 0
3. निम्न
गलनांक
जैसे :- N2,O2,I2,Ar,He,Ne,P4,S8,CH4,CCl4
(ii) ध्रुवीय
:-
1. द्विध्रुव
- द्विध्रुव
2. आघूर्ण
≠ 0 निम्न गलनांक
जैसे :- SO2,HCl,CHCl3
(iii) H बंधित
1. H - बंधित
2. F,O,N निम्न गलनांक
3. HF,NH3,H2O,CH3COOH,ROH
NOTE : - I2
कमरे के ताप पर ठोस होती है | जबकि अन्य ध्रुवीय कमरे के ताप पर द्रव या गैस होती है |
(2) ज्यामिति
के आधार पर :-
(i) क्रिस्टलीय
ठोस :-
- इनकी ज्यामिति
निश्चित होती है |
- इनमे अवयवी कणो की
निश्चित अवस्था होती है |
- इनका शीतलन वक्र
असंतत होता है |
- इनके गलनांक व
क्वथनांक उच्च होते है |
- इनमे विशंदेशिकता
पाई जाती है |
(ii) अक्रिस्टलीय
: -
- इनकी ज्यामिति
अनिश्चित होती है |
- इनमे अवयवी कणों
की अनिश्चित व्यवस्था पायी जाती है |
- इनका शीतलन वक्र
सतंत होता है |
- गलनांक व क्वथनांक
निम्न होते है |
- इनमे समदेशिकता
पायी जाती है |
Q 1. काँच
अतिशीतलित द्रव होता है क्यों ?
ANS :- काँच
अक्रिस्टलीय ठोस है जिसे गर्म करने पर यह तेजी से ठंडा
हो जाता है अत : शीतलन वक्र सतत प्राप्त होता है इसलिए यह अतिशीतित द्रव कहलाता है
|
Q 2. समदैशिकता व विषमदैशिकता क्या है ?
ANS :-
1. जब अक्रिसटालिय ठोस की संरचना में उपस्थित अवयवीय प्रकाश के समान गुणधर्म प्रदर्शित करते है तो उसे समदैशिकता कहते है | |
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Q 3. निम्न ठोसों को भिन्न - भिन्न वर्गों में वर्गीकृत कीजिये |
(i) प्लास्टिक (ii) (NH4)3PO4 (iii) P4 (iv) LiBr
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