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Sunday, 27 November 2022

क्लास-10 अध्याय -12 विद्युत (electricity) # class 10 ncert science chapter-12 part-1

 

क्लास-10 अध्याय -12 विद्युत (electricity)



  • विद्युत अवयव और उनके प्रतीक

⦁ विद्युत परिपथ-
किसी विद्युत धारा के सतत तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते है ।

⦁ विद्युत धारा-
विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते है । इसे I से व्यक्त करते है । इसका मात्रक एम्पियर होता है ,जो आंद्रे-मेरी एम्पियर नामक वैज्ञानिक के सम्मान में रखा गया है ।

अथवा
एकांक समय(इकाई समय) में प्रवाहित आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहतेहै ।
 धनावेश के प्रवाह की दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना जाता है ।
 एक कूलॉम (C) आवेश लगभग 6 ×1018 इलेक्ट्रोनों में समाए आवेश के तुल्य होता है । और एक इलेक्ट्रोन पर आवेश 1.6× 10-19 C होता है ।
एक कूलॉम = 6 ×1018 ×1.6 10-19 C
= 6 ×1.6 ×10-1
= 9.6× 10-1
= 0.96 C
⦁ एमीटर –

विद्युत धारा मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग किया जाता है ,उसे एमीटर कहते है । इसे सदैव परिपथ में श्रेणीक्रम में लगाते है ।
⦁ Q. किसी विद्युत बल्ब के तंतु में से 0.5 A विद्युत धारा 10 मिनिट तक प्रवाहित होती है । विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाण ज्ञात किजिए ?
Ans. दिया है –
विद्युत धारा = 0.5 A
समय = 10 मिनिट
         = 60 ×10 = 600 सैकंण्ड

⦁ विद्युत धारा के मात्रक के परिभाषा –
जब किसी विद्युत परिपथ मे एक कूलॉम(C) आवेश एक सैकण्ड(Sec.) तक प्रवाहित होता है तो उसमें बहने वाली धारा का मान एक एम्पीयर(A) होता है ।

⦁ विद्युत विभवांतर-
एकांक आवेश( Q) को विद्युत परिपथ में एक बिन्दू से दूसरे बिन्दू तक ले जाने में किया गया कार्य(W) विद्युत विभवांतर के बराबर होता है ।

अथवा
दो आवेशित चालकों के विद्युत विभवों के अन्तर को विद्युत विभवांतर कहते है ।

⦁ विद्युत विभव-
एकांक आवेश को अनन्त से विद्युत परिपथ या विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दू तक लाने में किया गया कार्य विद्युत विभव के बराबर होता है ।

a. विद्युत विभव या विद्युत विभवांतर का SI मात्रक वोल्ट होता है जिसे V से लिखते है ।
b. कार्य का SI मात्रक जूल होता है जिसे J से लिखते है ।
c. आवेश का SI मात्रक कूलॉम होता है जिसे C से लिखते है ।

⦁ वोल्टमीटर-
विद्युत परिपथ में विभव या विभवांतर मापने के लिए जिस यंत्र या उपकरण का उपयोग किया जाता है उसे वोल्टमीटर कहते है । वोल्टमीटर को सदैव उन बिन्दूओं से समांतर क्रम में संयोजित करते है जिनके बीच विभवांतर मापना है ।

Q. 12 V विभवांतर के दो बिन्दूओं के बीच 2 C आवेश को ले जाने में किया गया कार्य ज्ञात करें ।
Ans. दिया है- विभवांतर = 12 V
                       आवेश = 2 C


 ओम का नियम-
यदि भौतिक अवस्थाओं जैसे ताप , दाब, आयतन आदि को नियत रखा जाए तो विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है । इसे ही ओम का नियम कहते है । इस नियम को भौतिकविज्ञानी जार्ज साईमन ओम ने दिया था ।

⦁ प्रतिरोध के मात्रक की परिभाषा-
यदि किसी चालक अथवा धातु के तार के दोनों सिरों के बीच विभवांतर 1V है तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा का मान 1A है तो उस चालक का प्रतिरोध 1 Ω होगा ।

⦁ परिवर्ती प्रतिरोध या धारा नियंत्रक-
विद्युत परिपथ में प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए एक अवयव अथवा युक्ति का उपयोग किया जाता है , जिसे परिवर्ती प्रतिरोध कहते है ।
परिवर्ती प्रतिरोध के द्वारा विद्युत परिपथ में विद्युत स्रोत (बैट्री) की वोल्टता बदले बिना ही धारा का नियंत्रण किया जा सकता है ,अतः इसे धारा नियंत्रक भी कहते है ।

Q. (a)यदि किसी विद्युत बल्ब के तंतु का प्रतिरोध 1200 Ω है तो यह 220 V स्रोत से कितनी विद्युत धारा लेगा ?(b) यदि किसी विद्युत हीटर की कुंडली का प्रतिरोध 100 Ω है तो यह विद्युत हीटर 220 V स्रोत से कितनी धारा लेगा ?
Ans.

Q. जब कोई विद्युत हीटर विद्युत स्रोत से 4 A विद्युत धारा लेता है तब उसके टर्मिनलों (सिरों) के बीच विभवांतर 60 V है । उस समय विद्युत हीटर कितनी विद्युत धारा लेगा जब विभवांतर को 120 V तक बढ़ा दिया जाए ।
Ans.

⦁ चालक पदार्थ के प्रतिरोध की निर्भरता-
चालक पदार्थ का प्रतिरोध(R) निम्न बातों पर निर्भर करता है –
1. चालक पदार्थ की लंबाई (l)के समानुपाती होता है ।
2. चालक पदार्थ की अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल(A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
3. चालक पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है ।

Q. किसी धातु के 1 मीटर लंबे तार का 20 C पर वैद्युत प्रतिरोध 26 Ω है । यदि तार का व्यास 0.3 mm है , तो इस धातु के तार की वैद्युत प्रतिरोधकता ज्ञात करें ।
Ans.

Q. दिए गए पदार्थ के किसी l लंबाई तथा A मोटाई के तार का प्रतिरोध 4 Ω है । इसी पदार्थ के किसी अन्य तार का प्रतिरोध क्या होगा जिसकी लंबाई l/2 तथा मोटाई 2A है ?
Ans.


 कुछ महत्वपूर्ण बिन्दू-
1. किसी पदार्थ का प्रतिरोध तथा प्रतिरोधकता ताप परिवर्तन के साथ परिवर्तित हो जाते है ।
2. धातु तथा मिश्रधातुओं के लिए प्रतिरोधकता अत्यंत कम 10-8 से 10-6 Ωm तथा विद्युतरोधी पदार्थ ( रबड़, काँच ) के लिए बहुत उच्च 1012 से 1017 Ωm कोटी की होती है ।
3. विद्युत बल्बों के तंतुओं के निर्माण में एकमात्र धातु टंगस्टन (W) का ही उपयोग किया जाता है । जबकी कॉपर(Cu) तथा एल्युमिनियम(Al) उपयोग विद्युत संचरण के लिए उपयोग होने वाले तारों के निर्माण में किया जाता है ।
⦁ प्रतिरोधों का संयोजन- यह निम्न प्रकार का होता है ।
श्रेणीक्रम संयोजन –
जब प्रतिरोधों का एक सिरा दूसरे सिरे से मिलाकर जोड़ा जाता है तो इसे श्रेणीक्रम संयोजन कहते है । श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध में समान धारा प्रवाहित होती है ,परंतु प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर भिन्न-भिन्न होता है ।

Veq = V1 + V2 + V3                                       ( V = I R )
I Req = I R1 + I R2 + I R3
I Req = I ( R1 + R2 + R3 )
Req = R1 + R2 + R3

Q. एक विद्युत लैम्प जिसका प्रतिरोध 20 Ω है , तथा एक 4 Ω प्रतिरोध का चालक 6 V बैट्री से श्रेणीक्रम में जुड़े है । a. परिपथ का कुल प्रतिरोध , b. परिपथ में प्रवाहित धारा तथा c. विद्युत लैम्प व चालक के सिरों के बीच विभवांतर परिकलित कीजिए ।
Ans.

a. परिपथ का कुल प्रतिरोध
Req = R1 + R2
Req = 4 + 20
Req = 24 Ω

b. Veq = I Req

C. चालक के सिरों पर विभवांतर
V1 = I R1

Q. किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2 V के तीन सेलों की बैट्री , एक 5 Ω प्रतिरोधक, एक 8 Ω प्रतिरोधक ,एक 12 Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित है । साथ ही कुल प्रतिरोध , परिपथ में प्रवाहित धारा तथा प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर ज्ञात करो ।
Ans.

कुल प्रतिरोध Req = R1 + R2 + R3 
Req = 5 + 8 + 12
Req = 25 Ω

परिपथ में प्रवाहित कुल धारा 

विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों के सिरों पर विभवांतर

समांतर क्रम संयोजन (पार्श्व क्रम संयोजन) –
जब प्रतिरोधों को समांतर क्रम या पार्श्व क्रम में संयोजित करते है तो इसे समांतर क्रम संयोजन (पार्श्व क्रम संयोजन) कहते है । समांतर क्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर समान होता है परन्तु उनमें धारा भिन्न-भिन्न होती है ।



जब दो प्रतिरोध समांतर क्रम में जुड़े हो तो कुल प्रतिरोध का सूत्र

Q. प्रतिरोधकों R1 , R2 तथा R3 जिनके मान क्रमशः 5 Ω ,10 Ω तथा 30 Ω है , इन्हें समान्तर क्रम में 12 V की बैट्री से जोड़ा गया है । a. प्रत्येक प्रतिरोध से प्रवाहित धारा b. परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा c. परिपथ का कुल प्रतिरोध ज्ञात कीजिए ।
Ans.

a. प्रत्येक प्रतिरोध से प्रवाहित धारा
प्रथम प्रतिरोध(R1) से प्रवाहित धारा

b. परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा
Ieq = I1 + I2 + I3
Ieq = 2.4 + 1.2 + 0.4
Ieq = 4 A
c. परिपथ का कुल प्रतिरोध

Q.


उपरोक्त चित्र के आधार पर परिपथ का कुल प्रतिरोध तथा परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा ज्ञात कीजिए ।
Ans.

परिपथ का कुल प्रतिरोध

अथवा


⦁ महत्वपूर्ण बिन्दू
a. श्रेणीबद्ध परिपथ से एक प्रमुख होनि यह होती है कि जब परिपथ का एक अवयव कार्य करना बंद कर देता है तो परिपथ टूट जाता है और परिपथ का अन्य कोई अवयव कार्य नहीं कर पाता है ।
इसके विपरीत यदि समांतर क्रम संयोजन में कोई अवयव खराब होता है तो अन्य अवयव पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और अन्य अवयव समान रूप से कार्य करते रहते है ।

b.प्रतिरोधों का जब श्रेणीक्रम संयोजन करते हैं तो कुल प्रतिरोध बढ़ता है और जब समांतर क्रम संयोजन करते है तो प्रतिरोध घटता है ।


जूल का नियम या जूल का उष्मीय प्रभाव या विद्युत धारा का तापीय प्रभाव –
जूल के अनुसार किसी विद्युत परिपथ में यदि R प्रतिरोध में I धारा को t समय के लिए प्रवाहित किया जाए तो चालक तार गर्म होने लगता है अर्थात् वहाँ उष्मा उत्पन्न होने लगती है ।

जूल के अनुसार उत्पन्न उष्मा H निम्न कारकों पर निर्भर करती है ।

उष्मा का मात्रक जूल या कैलोरी होता है । उष्मा का SI मात्रक जूल होता है जिसे J से लिखते है ।

Q. किसी 4 Ω प्रतिरोधक से प्रति सैंकण्ड 5 A की धारा प्रवाहित हो रही है तो प्रतिरोधक से उत्पन्न उष्मा की गणना करे ।
Ans. दिया है –
R = 4 Ω
I = 5 A
t = 1 Sec.
H = I2 R t
H = (5)2 ×4 ×1
H = 25× 4 ×1
H= 100 J
Q. किसी 8 Ω प्रतिरोधक से प्रति सैंकण्ड 200 J उष्मा उत्पन्न हो रही है । प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर ज्ञात कीजिए ।
Ans. दिया है –
R = 8 Ω
H = 200 J
t = 1 Sec.

विभवांतर ( V ) = I R
V = 5 ×8
V = 40 volt

⦁ विद्युत धारा के तापीय प्रभाव या जूल के नियम के व्यावहारिक अनुप्रयोग (उपयोग)
1. विद्युत इस्तरी , विद्युत टोस्टर, विद्युत तंदूर ,विद्युत केतली तथा विद्युत हीटर आदि विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर आधारित है ।
2. विद्युत तापीय प्रभाव का उपयोग प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है । जैसे बल्बों से प्रकाश उत्पन्न करना । बल्ब के तंतुओं को बनाने के लिए टंगस्टन ( गलनांक 3380 डिग्री सेल्सियस) धातु का प्रयोग करते है । बल्बों में रासायनिक दृष्टि से अक्रिय नाइट्रोजन तथा ऑर्गन गैस भरी जाती है जिससे उसके तंतु की आयु में वृद्धि हो जाती है ।
3. विद्युत परिपथों में उपयोग होने वाले फ्यूज भी तापीय प्रभाव पर आधारित होते है । निम्न गलनांक वाली धातुओं का उपयोग फ्यूज बनाने में किया जाता है । इसे विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित करते है । यदि विद्युत परिपथ में धारा का मान अधिक होता है तो फ्यूज पिघल जाता है और धारा परिपथ में प्रवाहित होना बंद हो जाती है जिससे विद्युत उपकरण खराब होने से बच जाते है ।



⦁ विद्युत शक्ति-
किसी विद्युत परिपथ में सेल द्वारा R प्रतिरोध में I धारा को निरन्तर प्रवाहित करने में किए गए कार्य की दर को विद्युत शक्ति कहते है । इसे P से प्रदर्शित करते है ।
अथवा
कार्य करने की दर को शक्ति कहते है ।

शक्ति का SI मात्रक ‘ वॉट(Watt) ‘ होता है । जिसे हम W से लिखते है ।
वॉट शक्ति का छोटा मात्रक होता है अतः हम वास्तविक व्यवहार में हम शक्ति के काफी बड़े मात्रक किलोवॉट (KW) का उपयोग करते है ।
1KW = 1000 Watt
⦁ मात्रक वॉट की परिभाषा –
जब किसी युक्ति में 1 A धारा 1 Volt पर प्रवाहित की जाती है तो युक्ति की शक्ति 1 वॉट होती है ।
P = V I
P = 1× 1
P = 1 Watt
⦁ विद्युत ऊर्जा-
शक्ति तथा समय के गुणनफल को विद्युत ऊर्जा कहते है ।
विद्युत ऊर्जा = शक्ति(P) ×समय(t)
इसका मात्रक W h (वॉट घंटा) होता है । इसका व्यापारिक मात्रक किलोवॉट घंटा (KWh) होता है जिसे सामान्य बोलचाल में ‘ यूनिट ‘ भी कहते है ।
1 यूनिट = 1 KWh
         = 1000 W ×3600 सैंकण्ड
1 यूनिट = 3.6 ×106 J
विद्युत ऊर्जा का SI मात्रक जूल होता है जिसे J से लिखते है ।
Q. कोई विद्युत बल्ब 220 V के जनित्र से संयोजित है । यदि बल्ब से 0.5 A विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो बल्ब की शक्ति क्या है ।
Ans. दिया है –
विभवांतर(V) = 220 Volt
विद्युत धारा (I) = 0.5 A
विद्युत शकित (P) = V I
                P = 220 ×0.5
                 P = 110 W

Q. एक घर में 400 W का रेफ्रीजरेटर ,200 W की टी.वी. , 150 W का पंखा और 50 W का बल्ब लगा है । ये सभी उपकरण प्रतिदिन 8 घंटे चलते है । 3.00 रूपये प्रति KWh(यूनिट) की दर से इन्हें 30 दिन तक चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा का मूल्य क्या है ।
Ans. कुल विद्युत शक्ति (P) = 400 W + 200 W + 150 W + 50 W
                                  P = 800 W
                                   P = 0.800 K W (किलोवॉट)
कुल समय (t)= 8× 30 = 240 घंटे

विद्युत ऊर्जा = P ×t
                  = 0.800 ×240 KWh
                 = 192 KWh (192 यूनिट)
विद्युत ऊर्जा का मूल्य
एक यूनिट का मूल्य = 3 रूपये
192 यूनिट का मूल्य = 3 ×192 = 576 रूपये

Q. कोई विद्युत मोटर 220 V के विद्युत स्रोत से 5 A विद्युत धारा लेता है । मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए ।
Ans. दिया है
विभवांतर (V) = 220 Volt
विद्युत धारा (I) = 5 A
समय = 2 घंटे
विद्युत शक्ति (P) = V ×I
P = 220× 5
P = 1100 W
P = 1.100 KW
विद्युत ऊर्जा = P× t
                   = 1.100× 2
                  = 2.200 KWh
                   = 2.2 KWh ( 2.2 यूनिट)

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